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Job update

 


Hi...

Interview add.-

CREDIT 24 INDIA PVT LTD  

Shree Ram Complex J4 3rd Floor

 Bishanpura Sector 58 

Noida 

Ph  01204326794

Regards

Pankaj

 Mob nom for fixed interview time date = #9910022874



For more job and news come on 11 am and drop your comment for ant info..




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झांसी की रानी

झांसी की रानी "लक्ष्मीबाई" की मुहर जिसे दरबारी फ़रमान में इस्तेमाल किया जाता था हालांकि रानी लक्ष्मीबाई बाई शासनकाल बहुत कम दिनों ही रहा 1857 की क्रांति में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हो गईं थी। 1857 की क्रांति में ना तो मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र का साथ हिंदुस्तान के किसी रियासत ने दिया और ना ही रानी लक्ष्मीबाई का सिवाय तात्या टोपे और बाँदा के नवाब थे जिन्होंने रानी लक्ष्मीबाई का साथ दिया। अलबत्ता सिंधिया जैसे राजाओं ने लक्ष्मीबाई के खिलाफ अंग्रेजों की मदद की थी। आज रानी लक्ष्मीबाई बाई का जन्मदिन है आज ही के दिन 19 नवम्बर 1828 को बनारस में पैदाइश हुई।

ब्रेकिंग

#अति_दुःखद साथ जीने मरने की कसमें पूरी हुई ग्वालियर ब्रेकिंग÷÷ #पति_की_मौत का सदमा नहीं झेल सकी पत्नी, एक साथ उठीं दो अर्थियां_? #गांधी_नगर डिफेंस कॉलोनी से जब सड़क पर राहगीरों ने एक साथ दो अर्थियां गुजरते देखी तो उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने शवयात्रा में शामिल लोगों से पूछ ही लिया। जब राहगीरों को भी पति की मौत के बाद वियोग में पत्नी के प्राण निकल जाने की बात सुनी तो सतयुग की याद तो ताजा हुई ही साथ ही ऐसा दृश्य देखकर आंखें भी नम हो गईं। पति-पत्नी की मौत की दिनभर चर्चाएं होती रही। ॐ शांतिः शांतिः शांतिः

सरदार वल्लभभाई पटेल

 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों ने भारत को स्वाधीन तो कर दिया; पर जाते हुए वे गृहयुद्ध एवं अव्यवस्था के बीज भी बो गये। उन्होंने भारत के 600 से भी अधिक रजवाड़ों को भारत में मिलने या न मिलने की स्वतन्त्रता दे दी। अधिकांश रजवाड़े तो भारत में स्वेच्छा से मिल गये; पर कुछ आँख दिखाने लगे। ऐसे में जिसने इनका दिमाग सीधाकर उन्हें भारत में मिलाया, उन्हें हम लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के नाम से जानते हैं। वल्लभभाई का जन्म 31 अक्तूबर, 1875 को हुआ था। इनके पिता श्री झबेरभाई पटेल ग्राम करमसद (गुजरात) के निवासी थे। उन्होंने भी 1857 में रानी झाँसी के पक्ष में युद्ध किया था। इनकी माता लाड़ोबाई थीं। बचपन से ही ये बहुत साहसी एवं जिद्दी थे। एक बार विद्यालय से आते समय ये पीछे छूट गये। कुछ साथियों ने जाकर देखा, तो ये धरती में गड़े एक नुकीले पत्थर को उखाड़ रहे थे। पूछने पर बोले - इसने मुझे चोट पहुँचायी है, अब मैं इसे उखाड़कर ही मानूँगा। और वे काम पूरा कर ही घर आये। एक बार उनकी बगल में फोड़ा निकल आया। उन दिनों गाँवों में इसके लिए लोहे की सलाख को लालकर उससे फोड़े को दाग दिया जाता था। नाई ने सलाख को भट्ठी में...